व्यक्त करो
संवेदनाएं बची रहें, दुख हो, क्षोभ हो, भय हो, आशा हो, तृष्णा हो, खुशी हो, दुख हो, व्यक्त करो। आंसू झरे, हंसी खिले, बहने दो। इंसान हो, बुत नहीं, सिर्फ सांस नहीं लेते, जीवित हो, मुर्दों की भांति व्यवहार उचित नहीं।
शब्दों का फर्क और ज़हन की बात.. कशमकश